मशरूम की खेती कैसे करे
नमस्कार दोस्तों भारतीय किसान आज फिर लाया आपके लिए मशरूम की उन्नत खेती तथा मशरूम की कीस्मो और खाने से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी मशरूम के क्या-क्या फायदे हैं |
- तकनीकी खेती
- मशरूम की तकिनिकी खेती की जानकारी
- मशरूम की उपयोगिता
मशरूम एक उच्च गुणवत्ता युक्त खाद्य है । इसमें प्रोटीन की सर्वाधिक मात्रा होती है , वसा कम होने से यह मधुमेह रोगियों के लिए वरदान है , साथ ही उच्च रक्तचाप व हृदय रोगियों के लिए भी लाभकारी है । राजस्थान का मशरूम उत्पादन 800 टन से अधिक है एवं उत्तरोत्तर बढ़ रहा है ।
मशरूम सभी फायदे :
• मधुमेह । गत्यंत लाभकारी है ।
• उच्च रक्त हृदय रोगों में लाभकारी है एवं रक्तचाप भी नियंत्रित करता है ।
• मोटापा एवं इससे जनित बीमारियों को दूर करता है ।
• ढींगरी मशरूम की एक प्रजाति हीप्सीजाइगस में बीटा ग्लूकेन नामक तत्व उपस्थित होता है , जो कैंसर रोग में प्रभावकारी होता है ।
• अन्य औषधीय महत्व की मशरूम जैसे शिताके , गेनोडरमा , ग्राइफोला एवं
कोर्डिसेप्स ( कीड़ा मशरूम ) अनेक असाध्य रोगों के लिए रामबाण औषधि
• लकवा आज के समय की एक भयंकर समस्या है एवं मशरूम सेवन से कम समय में अधिक लाभ होता है एवं खून के संचार को ठीक करता है । मशरूम पोषक तत्व एवं प्रोटीन का खजाना है , आज आम आदमी मशरूम की उपयोगिता को समझने लगा है । एया कच्चे झोपडे में जिसका आकार 15 फिट x 15 फिट हो , से मशरूम का उत्पादन कर औसतन 3500 रू . प्रतिमाह अतिरिक्त कमा सकता है । उत्पादन अतिरिक्त आय का स्त्रोत भी है । ढेगरी मशरूम , बटन मशरूम , दूध छाता मशरूम और शिताके मशरूम राजस्थान एवं उदयपुर संभाग की जलवायु में उगाई जा सकती है । अतः प्रशिक्षण प्राप्त कर इसका उत्पादन किया जाये तो उपयुक्त होगा । प्रत्येक मशरूम के उत्पादन की विधि अलग – अलग है ।
• बटन मशरूमः बटन मशरूम के बीज को गेंहू के भूसे से तैयार किए कम्पोस्ट पर उगाया जाता है । इसे केवल सर्दियों में उगाते हैं ।
• ढींगरी मशरूमः ढींगरी मशरूम के बीज को गेंहू के भूसे को गलाकर उपचारित भूसे पर उगा सकते हैं । इसे वर्ष भर उगा सकते हैं ।
• दूध छाता मशरूमः दूध छाता मशरूम के बीज को गेंहू के भूसे को उपचारित कर उगा सकते हैं । इसका उत्पादन मार्च से नवम्बर तक ले सकते हैं ।
• शिताके मशरूमः शिताके मशरूम के बीज को लकडी के बुरादे पर उगाया जाता है । इसका उत्पादन नवम्बर से मई तक तक ले सकते हैं ।बड़े स्तर पर बांस व टाटीयों की सहायता से 30 X 60 फिट का एक स्थाई मशरूम उत्पादन कक्ष तैयार कर वर्ष भर बठन , ढींगरी , दूध छाता एवं शिताके मशरूम का उत्पादन लेकर प्रति वर्ष पांच लाख तक का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है । एक बार स्थाई निर्माण करने के बाद 5 वर्ष तक कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता है। महाराणा प्रताप एवं प्रौधौगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर तथा उत्तरप्रदेश में गाजयाबद में पौध पादप विभाग के तहत संचालित अखिल भारतीय मशरूम समन्वित परियोजना में प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम के उत्पादन की शुरूआत की जा सकती है । विभाग के तहत ही मशरूम का बीज प्राप्त किया जा सकता है ।
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